Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2017 · 4 min read

हुंकार रैली

…………..
वीरभद्र आज बहुत खुश है और हो भी क्यों ना आज उसके अध्यक्षता में इतनी बड़ी रैली वो भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई थी।
वीरभद्र जन आक्रोश पार्टी (JAP) का एक माना जाना नाम व वर्तमान समय में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष है।
वीरभद्र के दादा श्री सूरजमल जी ने जन आक्रोश पार्टी बनाई थी किन्तु उनकी सज्जनता, उदारवादी विचारधारा, कम राजनीतिक अनुभव, कूटनीति का अभाव ऐ एसे कारक थे जिसके वजह से सुरजमल जी की पार्टी उनके कार्याकाल में सत्ता सुख से वंचित ही रही।
सुरजमल जी के बाद पाट्री का बागडोर सम्मभाला जयशंकर प्रसाद ने।
जयशंकर प्रसाद एक विशेष वर्ग के नेता का लेबल इनके व्यक्तित्व को सदैव ही प्रभावित करता रहा ,ना ही कभी ये खुद इस दायरे से निकल पाये और नाहीं कभी पार्टी को हीं निकाल पाये परिणाम एक वर्ग के मत के सहारे अपनी पार्टि को विपक्ष तक लाने में सफल तो हुये किन्तु सत्ता सुख के आसपास भी नहीं जा सके।
आज वीरभद्र को अपने उपर इस कारण अतिरेक गर्व हो रहा था कि जो पार्टि पिछले कई वर्षों से या यूं कहें अपने उदय काल से पाँचवे, छठवे नम्बर की पार्टि बन कर रह गई थी कमान वीरभद्र के हाथों मिलते ही सत्ता पर काबिज हो गई ।
कारण वीरभद्र एक चतुर, मौकापरस्त इंसान है, साम, दाम, दण्ड, भेद हर सय में माहिर , जीवन में उचाई प्राप्त करने के लिए निःसंकोच किसी भी हद तक जाने को तत्पर। कई तरह के आपराधिक मामलों में संलिप्तता थी उसकी। सही अर्थों में कहें तो एक दबंग व्यक्तित्व का जीता जागता प्रमाण था वो।
अपने इन्हीं विशेषताओं के बल बुते आज पार्टि पर उसका एकाधिकार था, पुरे प्रदेश की जनता उसके प्रभाव में थी ।
सत्ता के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आज हुंकार रैली का आयोन किया गया था, सभी विधायकों को सख्त निर्देश जारी कर कहा गया था कम से कम पाँच गाड़ी लोगों को भर कर रैली के लिए लाना है ज्यादा जितना ला सकें।
बड़े पैमाने पर आज जन समूह इकट्ठा हुआ था ।
रवि के चेहरे पर संतुष्टि के भाव आज स्पष्ट रुप से देखे जा सकते हैं कारण आज उसने अपने इकलौते बेटे श्रेय के ब्रेन ट्युमर का आँपरेशन के निहित जरूरी धन ईकट्ठा कर लिया था , डाँक्टर ने आज ही का टाईम दिया था आँपरेशन का।
डाक्टर ने स्पष्ट किया था कि अगर आज आपरेशन नहीं हुआ तो श्रेय को बचा पाना नामुमकिन होगा।
एक माह के कठिन परिश्रम के बाद अपनी तमाम जिन्दगी दाव पर लगाने के बाद कहीं जाकर रवि इस आपरेशन के लिए इतना भारी भरखम धन इकट्ठा कर पाया था।
सुबह ही नहा धो कर पैसे लेकर रवि हास्पीटल के लिए रवाना हुआ , गांव से हास्पीटल की दूरी 40 कि.मी. थी ट्रेन से यह दूरी एक सवा घंटे में तय होनी थी किन्तु वजह – बेवजह भारतीय रेल परिचालन में होने वाले विलम्ब के कारण रवि 12:30 पर शहर पहुंचा । स्टेशन से हास्पीटल की दूरी एक कि.मी. थी दो बजे तक हास्पीटल पहुचना अनिवार्य था ।
आपरेशन के लिए बील का भुगतान करने का 2 बजे तक अन्तिम समय था, ट्रेन से उतरते ही रवि आटो स्टेन्ड की ओर भागा ।
किराया तय करने के बाद आटो वाले से बोला भैया थोड़ा जल्दी चलना ।
आटो चल पड़ा, अभी थोड़ा ही देर आटो चलते हुआ था कि सामने से जैसे सारा शहर ही उमड़ पड़ा हो जो जहाँ था वही रुक गया अभी सिर्फ पाँच मिनट ही बीते होंगे पीछे भी गाड़ीयों का हुजूम लग गया तभी दुसरी तरफ से भी भीड़ का एक जखीरा आन खड़ा हुआ पूरा शहर जैसे स्तब्ध खड़ा बस भीड़़ को नीहार रहा हो हर तरफ शोर ही शोर ,
जन आक्रोश पार्टि जिन्दाबाद, हमारा नेता कैसा हो वीरभद्र जैसा हो, सुरजमल अमर रहे।
जैसे अनेक नारो से धरा क्या गगन भी आंदोलित हो उठा था।
सारा शहर ही इस हुंकार रैली के आगे रुक सा गया
परन्तु रवि के हृदय की गति बहुत ही तेज हो चली थी उसको यह हुंकार रैली यमराज के असमय आगमन का संकेत दे रही थी।
एक मजबूर पिता किसी के शक्ति प्रदर्शन रूपी हठधर्मिता के आगे आज खुद को निसहाय महसूस कर रहा था , करे तो क्या करे कुछ समझ न आ रहा था, गाड़ी तो दुर की बात थी पैदल भी निकल पाना नामुमकिन था, पुरे चार घंटे तक शहर के हर तरफ सभी सडकों पर जन आक्रोश पार्टि के कार्यकर्ताओं का ही जमावड़ा था। पुरा शहर ही रुक सा गया था । चार घंटे तक चारों तरफ सोर गुल नारेबाजी के सिवाय बाकी सभी कुछ थम गया था ।
आखिरकार चार घंटे बाद रैंली का समापन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हुआ।
एक तरफ वीरभद्र अपनी सफलता पर फूला न समा रहा था तो वही रवि के बगीचे का इकलौता पुष्प यानि उसका बेटा श्रेय जिन्दगी का जंग हार चुका था , रवि हास्पीटल में किंकर्तब्यविमूढ की अवथा में अपने पुत्र के निस्तेज, निष्प्राण हो चुके चेहरे को देखे जा रहा था , कैसी बदहवास अवस्था थी उसकी! उसकी आंखें जैसे कह रहीं हो ये हुंकार रैली नहीं यम के आगमन का संदेश थी। आखिर मैं कुछ कर क्यों न सका?
मैं बस यहीं सोच सोच कर व्यथित हो रहा था कि इन रैलीयों से हर बार न जाने कितने रवीयों के घर उजड़ते होंगे? क्या कभी समाज के ये ठेकेदार इस परिस्थिति पे गौर फरमाते है ? आखिर समाज को इन रैलियों से
भला क्या मिलता है? नजाने ऐसे कितने ही अनसुलझे प्रश्नों के साथ मैं स्तब्ध वही पड़ा रहा। पर उत्तर न तलाश सका क्या आपके पास इसका कोई सटीक उत्तर है?………………..???
पं.संजीव शुक्ल “सचिव”

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 432 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
देव उठनी
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सत्य को सूली
सत्य को सूली
Shekhar Chandra Mitra
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
"पसीने से"
Dr. Kishan tandon kranti
ईर्ष्या
ईर्ष्या
नूरफातिमा खातून नूरी
"तुम्हें राहें मुहब्बत की अदाओं से लुभाती हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
है तो है
है तो है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
उम्मीदें  लगाना  छोड़  दो...
उम्मीदें लगाना छोड़ दो...
Aarti sirsat
*परिवार: सात दोहे*
*परिवार: सात दोहे*
Ravi Prakash
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet kumar Shukla
आइसक्रीम के बहाने
आइसक्रीम के बहाने
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Hum to har chuke hai tumko
Hum to har chuke hai tumko
Sakshi Tripathi
परेशान देख भी चुपचाप रह लेती है
परेशान देख भी चुपचाप रह लेती है
Keshav kishor Kumar
*नाम है इनका, राजीव तरारा*
*नाम है इनका, राजीव तरारा*
Dushyant Kumar
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
पूर्वार्थ
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान"
Lohit Tamta
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
सफलता का एक ही राज ईमानदारी, मेहनत और करो प्रयास
सफलता का एक ही राज ईमानदारी, मेहनत और करो प्रयास
Ashish shukla
कविता
कविता
Shiva Awasthi
कवि
कवि
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बीता समय अतीत अब,
बीता समय अतीत अब,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2599.पूर्णिका
2599.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अलसाई शाम और तुमसे मोहब्बत करने की आज़ादी में खुद को ढूँढना
अलसाई शाम और तुमसे मोहब्बत करने की आज़ादी में खुद को ढूँढना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोहे-मुट्ठी
दोहे-मुट्ठी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
Loading...