Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2020 · 1 min read

” हिसाब “

आधा वक्त
भूत को याद करके
वर्तमान से भाग के
भविष्य में सब
पाने की कल्पना में
बर्बाद करते ,
और
बचे हुए
थोड़े से वक्त में
ज्यादा खोने कम पाने का
हिसाब करके रोते ।।।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10 – 01 – 91 )

Language: Hindi
1 Like · 6 Comments · 362 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
प्रधानमंत्री जी ने ‘आयुष्मान भारत ‘ का झुनझुना थमा दिया “
प्रधानमंत्री जी ने ‘आयुष्मान भारत ‘ का झुनझुना थमा दिया “
DrLakshman Jha Parimal
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Lokesh Sharma
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
Ravi Prakash
सही ट्रैक क्या है ?
सही ट्रैक क्या है ?
Sunil Maheshwari
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विश्व पुस्तक दिवस पर
विश्व पुस्तक दिवस पर
Mohan Pandey
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
Anis Shah
Good Night
Good Night
*प्रणय*
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
अभिषेक कुमार यादव: एक प्रेरक जीवन गाथा
Abhishek Yadav
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
Surya Barman
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
एक मशाल तो जलाओ यारों
एक मशाल तो जलाओ यारों
नेताम आर सी
बीते हुए दिन
बीते हुए दिन
rubichetanshukla 781
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
gurudeenverma198
''फ़ासला बेसबब नहीं आया,
''फ़ासला बेसबब नहीं आया,
Dr fauzia Naseem shad
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
अयोध्या
अयोध्या
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
4534.*पूर्णिका*
4534.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तन्हाई को जश्न दे चुका,
तन्हाई को जश्न दे चुका,
goutam shaw
क्या रखा है? वार में,
क्या रखा है? वार में,
Dushyant Kumar
"अपराध का ग्राफ"
Dr. Kishan tandon kranti
यदि  हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
यदि हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
Raju Gajbhiye
नदियां बहती जा रही थी
नदियां बहती जा रही थी
Indu Singh
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
Jogendar singh
Loading...