” हिसाब “
आधा वक्त
भूत को याद करके
वर्तमान से भाग के
भविष्य में सब
पाने की कल्पना में
बर्बाद करते ,
और
बचे हुए
थोड़े से वक्त में
ज्यादा खोने कम पाने का
हिसाब करके रोते ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10 – 01 – 91 )
आधा वक्त
भूत को याद करके
वर्तमान से भाग के
भविष्य में सब
पाने की कल्पना में
बर्बाद करते ,
और
बचे हुए
थोड़े से वक्त में
ज्यादा खोने कम पाने का
हिसाब करके रोते ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10 – 01 – 91 )