हिम्मत
टूटी जो हिम्मत, तू हर कदम नाकाम होगा
हार कर होंसला कैसे हासिल मुकाम होगा
बना हथियार हिम्मत को हार क्यूं मानता है
ना हो दूर फ़िर मंज़िल बना हर काम होगा
चल उठ संकल्प कर, अब ये वक्त है थोड़ा
समय के भाग रहे घोड़े जल्दी विराम होगा
गर नाम पाना चाहे तुझे सब झेलना पड़ेगा
थोडी बदनामी ज़रूरी है ऐसे ना नाम होगा
बहुत है ज़ोर ना तू कमज़ोर पहचान करले
फ़िर ना ताक़त नाही देही पे तेरे चाम होगा
आजाद मंडोरी जंग तुम्हें हरहाल लड़नी है
आखरी सांस मे भी, ना ज़रा आराम होगा
– कवि आजाद मंडौरी