हिमनद
6यहाॅं कोई भी कार्य विशेष, मानव के सामर्थ्य से बड़ा नहीं होता।
जहाॅं हौंसले टिक जाते हैं, वहाॅं पर व्यर्थ संशय खड़ा नहीं होता।
जिन्होंने मुट्ठी में क़ैद कर ली हो, अपने भाग्य की प्रत्येक लकीर,
उनके आड़े तो असफलता का दानव, स्वयं भी अड़ा नहीं होता।
नित प्रयास करते रहने से, क्लिष्ट प्रश्न का हल निकल जाता है।
किरणों की अधिकता होते ही, विशाल हिमनद पिघल जाता है।
इच्छा की शक्ति ऐसी अद्भुत, हर समस्या को लांघकर जाती है।
मन की श्रद्धा से उपजी ऊर्जा, दुर्भावनाऐं भी बाॅंधकर आती है।
न पथ से हटो, न रथ से उठो, न प्रयास की साधना को तोड़ना,
प्रयास की हर एक कड़ी, सफलता का लक्ष्य साधकर आती है।
लहरों की आपाधापी से, विशालकाय समुद्र भी मचल जाता है।
किरणों की अधिकता होते ही, विशाल हिमनद पिघल जाता है।
हिम के कई पिण्डों के मिलने से, रची जाए हिमनद की कहानी।
जैसे ही सूर्य की किरण चमके, हिमनद भी हो जाऍं पानी-पानी।
वर्षों की कड़ी तपस्या होने से, हमारा ये व्यक्तित्व निखर पाएगा।
त्वरित परिणाम की दौड़ में, जो हाथ में है वो भी बिखर जाएगा।
अक्सर जल्दीबाज़ी करने से, हाथ आया मौका उछल जाता है।
किरणों की अधिकता होते ही, विशाल हिमनद पिघल जाता है।