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18 Mar 2020 · 1 min read

हिन्दुस्तान ज़िन्दा है

है गहरा जख्म़ फिर भी आज तक नादान ज़िन्दा है
नमी है आँख में लब़ पर मगर मुस्कान ज़िन्दा है

कोई जाकर जरा बतला दो नफऱत के च़रागों को
हमारे दिल में अब भी अम्ऩ का तूफ़ान ज़िन्दा है

मरे कितने ही मन्दिर और मस्ज़िद के लिए लेकिन
ख़ुदा के साथ हँसता-बोलता भगवान ज़िन्दा है

मुहब़्बत का लिए पैगाम ओढ़े अम़्न की चुनरी
कहीं गीता सँवरती है कहीं कुरऑन ज़िन्दा है

बिकाऊ है यहाँ सबकुछ लगाकर देख लो कीमत
यहाँ हर मोड़ पर छोटी-बड़ी दूकान ज़िन्दा है

कई दिन हो गए जलती चिताएँ बुझ गयीं शायद
मगर भीतर किसी कोने में वो श्मशान ज़िन्दा हैं

लिखा है बस यही कब्रों पे पीरों की फ़कीरों की
है ज़िन्दा बस वही जिसका यहाँ ईमान ज़िन्दा है

मोहब्ब़त के लिए बदनाम मेरा मुल्क़ है लेकिन
हमारी धड़कनों में अब भी हिन्दुस्तान ज़िन्दा है

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