हिन्दी
जब हिन्दी की बात हो,
बोली में मिठास हो,
व्यक्त करे जब भावों को,
हिन्दी सबसे पास हो,
जब-जब मन की पींग बढ़े,
हिन्दी की बरसात हो,
अपनेपन की मिट्टी में_
मानवता को रोपे जब,
हिन्दी जैविक खाद हो,
बालक अपने विश्व मंच पर,
चमके जब सूरज बन कर,
हिन्दी उनके साथ हो,
भाषा तो अभिव्यक्ति है,
तुलना की क्यों बात करे,
आँख मूंद जब ध्यान करे,
हिन्दी अपनी श्वास हो|
प्रिया खरे
१४/०९/२०१९