हिन्दी पर नाज है !
करोड़ों जनों की भाषा
फूलेगी फलेगी स्वतः,
किसी प्रचार तंत्र की.
नहीं मोहताज है !
सिद्ध सृजन से सजा
साहित्य सँवरा हुआ,
संस्कृति की वाहक है
मन की आवाज है !
कितनी भी खुल जाएं
अंग्रेजी शाला देश में,
मातृ भाषा ही में सोचे
हिन्द का समाज है !
सीखो अन्य भाषा चाहे
स्वदेश या विदेश की
सेतु सब भाषाओं की
हिन्दी पर नाज है !!!
-ओम प्रकाश नौटियाल