हिन्दी के हित प्यार
** नवगीत **
~~~~~~~~~~~~~~~
हिन्दी के हित प्यार जगाएँ।
हम अपना कर्तव्य निभाएँ।
~
इस मिट्टी से जन्मी भाषा,
करती पूर्ण सभी की आशा।
नभ में नाम इसी का हम सब,
उच्च स्वरों में मिल गुंजाएँ।
~
हक है आजादी में जीना,
हर मुश्किल में ताने सीना।
भाव विदेशी का तज डालें,
अंग्रेजी का मोह भुलाएँ।
~
भाषा वेदों उपनिषदों की,
रामायण गीता गंगा की।
संस्कृत हैं हिन्दी की माता,
इसके सम्मुख शीश नवाएँ।
~
हिन्दी के हित प्यार जगाएँ।
हम अपना कर्तव्य निभाएँ।
************************
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)