हिंदू
तुम यदि वैश्विक बीमारी हो,
तो हम है जगत इलाज प्रिए।
तुम यदि कबिलियाई संस्कृत हो,
तो हम है सर्व समाज प्रिए।।
हम नही ईसाई, यहूदी है,
जो सहते रहें संताप प्रिए।
तुम सब तुतपुजिया बालक हो,
हम सत्य सनातन बाप प्रिए।।
तुम भोगी, पापी, पशु से हो,
हैं सभी जरायम कर्म प्रिए।,
असमत मां बहन की लूटते हो,
आती नहीं तुमको शर्म प्रिए ।।
तुम दहशतगर्द बांटते हो,
हम देते वैश्विक संत प्रिए।
अब भी यदि नहीं जागते हो,
तो होगा तेरा अंत प्रिए।।
है विशाल हृदय हम हिंदू है,
दे देंगे क्षमा का दान प्रिए।
अब भी तुम यदि न सुधरे,
तो हर लेंगे तेरे प्रान प्रिए।।
जय हिंद