हिंदुस्तानी है हम सारे
——-हिंदुस्तानी हैं हम सारे—–
मैं- मैं तू -तू करते -करते
देखो न हम को भूल गए ।
बंधे हुए थे एक सूत्र में
झरनों सा -झर -झर छूट गए ।
बटी- बटी दुनिया अब सारी
बटे -बटे से लोग यहाँ ।
खोए- खोए से सब सपने
खोए अपने जाने कहाँ ।
कुनबे के नाम पर अब देखो
गिने चुने कुछ लोग बचे
मोती सा- छन- छन बिखर-बिखर
रिश्तो के धागे टूट गए ।
बंधे हुए थे एक सूत्र में
झरनों सा- झर-झर छूट गए।
कभी धर्म तो कभी अहम्
हावी खुद पर हो जाता है।
फिर दुनिया के इस जंगल में
अपना कोई हो जाता है।
आओ समझे बस एक शब्द
हिंद ही हमारी भाषा हो।
हिंदुस्तानी हो हम सारे
बस एक धर्म का नाता हो।
क्यों अपनाएं गैर संस्कृति
जिससे अपने रूँठ गए।
बंधे हुए थे एक सूत्र में
झरनों सा-झर -झर छूट गए।
मैं -मैं तू -तू करते -करते
देखो न हमको भूल गए।।
मधु पाठक “मांझी”
, लखनऊ