हिंदी
हिंदी
हिंदी भारत माँ की बोली
माँ के दूध -सी मिश्री घोली
उसके सब हैं,वह है सबकी
जैसे रिश्ता दामन-चोली
हिंदी है हर मुख की शोभा
ह्रदय से हृदय का सेतु
वर्तमान की आँख का सपना
भावी आशाओ का केतु
महल,चौबारे या हो खोली
हिंदी भारत माँ की बोली
अपने से पहचान कराती
अपनों को समीप ले आती
युग युग की पहचान है साथी
तेरी मेरी सब की थाती
नदियों में ज्यों गंगा धौली
हिंदी भारत माँ की बोली
राष्ट्र की माला का मोती
अंधकार में जलती ज्योति
संस्कृत-सुता,बहु-भगनी वह
एकता सुर के सुमन पिरोती
हर भाषा की चन्दन रौली
हिंदी भारत माँ की बोली
बने न यह विवाद की भाषा
यह तो है संवाद् की भाषा
क्रांति और सुधार की भाषा
भक्ति और प्यार की भाषा
देश देश की माँ मुँहबोली
हिंदी भारत माँ की बोली
उसके सब हैं वह है सब की
जैसा रिश्ता दामन चोली ।
( साक्षी काव्य संग्रह से )