हिंदी मेरी राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है
हिंदी मेरी, राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है
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हिंदी मेरी, राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है,
जन जन को है प्यार इसी से हिंदी इतनी प्यारी है।
जिस ने इस को दिल से चाहा तुलसी और रसखान हुआ,
किसी ने बनकर सूर्य, निराला शोहरत का आकाश छुआ,
भाषाओं की लाज इसी से इसी से सब की यारी है।
हिंदी मेरी राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है,
जन जन को है प्यार इसी हिन्दी इतनी प्यारी है।
इसे मिटा पाने की हरगिज़ नहीं किसी में ताकत है,
अंग्रेजी के चलन से हाँ कुछ हिंदी मेरी आहत है,
इस की रक्षा की इच्छा में हर एक नर और नारी है।
हिंदी मेरी, राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है,
जन जन को है प्यार इसी से हिंदी इतनी प्यारी है।
आओ मिलकर कसम यह खाएं गीत इसी के गाएंगे,
हिंदी के संदेश को हर इक घर तक लेकर जाएंगे,
गीत सुना जिस ने भी शमा का सब का वह आभारी है।
हिंदी मेरी,राष्ट्र की भाषा जग में सबसे न्यारी है,
जन जन को है प्यार इसी से हिंदी से इतनी प्यारी है।
शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश