हिंदी दिवस
वक़्त की देखो,
क्या है माया।
बचपन की बोली को,
हमीं ने भुलाया।
कहते हैं हम,
उसे मातृभाषा,
माँ सरीखी होती है।
देखो आज यंहा
“हिंदी” घुट घुट
के रोती है।
अंग्रेजी के दिखावे ने,
आज भुला दी
देश की भाषा।
क्या होगा भविष्य,
आने वाली पीढ़ी से,
कुछ नहीं है आशा।
आओ हिंदी दिवस पर,
करें प्रण ये
और मजबूत।
अपनाएंगे हिंदी हम,
भगाएंगे अंग्रेजी
का ये भूत।
क्या नहीं कर सकते,
हम हिंदी में,
गर हौसला बुलंद है।
चीन रूस जर्मनी से सीखो,
जंहा अंग्रेजी की
दुकान बंद है।
अब भी ना चेते,
तो ना बचेगा नामोनिशां,
आनेवाली पीढ़ी हमें कोसेगी,
ना होगी हिन्दोस्तान में हिंदी,
वो तो बस,
इतिहासों में होगी।