! हिंदी दिवस !
जिसमें मिठास-माधुर्य का घुला रस है
आज वही हिंदी का “हिंदी दिवस” है !
जिसने बोल, लिख-पढ़ आगे बढ़ाई है
वो हिंदी प्रेमियों, भाषियों को बधाई है !
घर-गॉव, देश-परदेश हिंदी अपनाई है
आपसे ही यह विश्व में सम्मान पाई है !
भाषाएं तो सबकी ही प्यारी होती है
पर हिंदी की बात ही न्यारी होती है !
मातृभाषा हिंदी जैसी भाषा इकलौती
माॅ,मातृभूमि के जैसी ममता दिखाती !
सुमधुर, सुभाषनी, सुरीली यह है बोली
जैसे मधु, मिश्री, मकरंद संग है घोली !
पंक्तियों, पन्नों और किताबों में यही
संवादों, सवालों और जवाबों में कही !
गीतों-प्रगीतों, बातचीतों में कहाँ नही
सभा-भाषणों में भी बोली जाती रही !
चौराहों-चौपालों में, सभा-महफिलों में
हिंदी ही होठों पर हिंदी ही दिलों में !
जो सारे देश को एक सूत्र में पिरोती
वो सशक्त-सम्पर्क भाषा हिंदी ही होती !
हिंदी जोड़े मन-मानुष;जोड़े प्रजापरिवेश
जोड़े ग्राम, नगर-प्रान्त ; जोड़े सारा देश !
हिंदी एकता, अखण्डता को है बनाती
पूरब-पश्चिम ; उत्तर-दक्षिण बोली जाती !
मातृभाषा,राष्ट्रभाषा,राजभाषा का सम्मान
पर जनभाषा हिंदी ही है असली पहचान !
घर-नगर, देश-विदेश हिंदी को पढ़ाना है
हिंदी और भारत विश्व में आगे बढ़ाना है !
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मौलिक एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या -१९:मई,२०२४.©जीवनसवारो.