Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2020 · 11 min read

हिंदी का पहला ध्वनि व्याकरण

जब मैंने 2000-2001ई. में हिंदी शब्द ‘श्री’ को 2,05,00,912 तरीके से लिखा । मूलरूप से उनमें 30,736 (कैलीग्राफी सहित) शब्दों को 666 चिह्नों/प्रतीकों से जोड़ते हुए उनके ध्वन्यात्मक-अर्थ के साथ ‘श्री’ का सार्थक उच्चारण कराया, तो ‘ध्वनि-व्याकरण’ की प्रत्यर्थ अवधारणा मानस – पटल पर आयी, जिनके विन्यसत: संलग्न-दस्तावेज़ में 16 (‘श्री’ के लिए लिखा) संकेत-विस्तार को और आगे बढ़ाते हुए हिंदी का संभवत: पहला ‘ध्वनि-व्याकरण’ लिख डाला । पं. कामता प्रसाद गुरु ने ‘हिंदी व्याकरण’ में लिखा है— ” ध्वनि को पहचानने के लिए एक-एक चिह्न नियत किये जाते हैं…एक ही मूल ध्वनि के लिए उनमें भिन्न-भिन्न अक्षर होते हैं” । ‘ध्वनि-व्याकरण’ पर नियम अग्रांकित है:-

★1. “…” ( माना ‘इ’ के बाद तीन बिंदु पर ‘इ’ के रफ़्तार को पकड़ाकर अंग्रेजी ‘इ’ ध्वनि के
पूर्ण पर आगे की ध्वनि-निर्माण अर्थात् खिंचाव-सा और संतुलित कम्पन बरकरार)

★2. “..” ( तीन बिंदु पर बोलने के रफ़्तार की एक ध्वनि निकलती, जबकि दो बिंदु पर 2/3 ध्वनि ही आकृष्ट होती, हालांकि इसमें लय नहीं, बल्कि शब्द के अंतिम वर्ण ही ध्वन्यात्मक-आकृष्ट कराया)

★3. “-” (योजक, किंतु हल्का ध्वनि – रफ़्तार / जो पूर्णत: “,” कॉमा-चिह्न के विपरीत ध्वनि- विस्तार करते हैं, क्योंकि “,” चिह्न वर्णोच्चारण को विरमित करते हैं)

★4. “- -” ( तीन योजक-चिह्न तीन ध्वनि – अंतराल को आकृष्ट करती है, जबकि दो योजक-चिह्न इस अंतराल को ‘कॉम्बिनेट’ करता है)

★5. ” ._ /-.0 / _. / .0 / – — / (..), / | .. | / ॥:॥ / (- -) ( सिर्फ एक “.” बिंदी या बिंदु ध्वनि को फुल स्टॉप कर देता है, पुनः “-” योजक के सहारे हल्का ध्वनि लिए आगे बढ़ता है, योजक के बाद “बिंदु” स्तब्धित करता है और “.0” चिह्न जहां बिंदु के बाद शून्य को सूचित करता है, जबकि दशमलव के बाद शून्य को “0.0” लिखा जाना ही सही है। बिंदु के बाद शून्य (0) उच्चारण को हालांकि वो शून्यायत करता है, किन्तु आवर्त-रेख “—-.0” उच्चारण को उसी में एकमेव कर देता है, फिर बिंदु से पहले “0” Full stop के आगे की ध्वनि-उत्पन्न की स्थिति में उन्हें नवजात-खिंचाव देता है । छोटा “-” योजक चिह्न के बाद बड़ा “—” योजक चिह्न ध्वनि-रफ़्तार को उद्वेलित करता है। “..” द्वय बिंदु के रफ़्तार को विभिन्न कॉलम में डालकर उच्चारण को जहाँ सीमित करता है, वहीँ “-” योजक चिह्न भी उच्चारण को सीमित करता है, परंतु “हलंत” चिह्न की स्थिति ध्वनि को मुख से निकलने से पहले ही समाप्त कर देता है , जहाँ निर्देशक – चिह्न (:) ध्वनि के हौलेपन को निर्देशित करता है , वहीँ (:)विसर्ग चिह्न को ‘अः/अहः’ उच्चारण लिए हल्का ध्वनि प्रस्तुताक्षर के साथ बोला जाता है । फिरतो हलंत लगाकर उच्चारणात्मक-ध्वनि को सीमित किया जाता है।

★6. ” अ÷2/अ×1/2 / s / s / अ में हलन्त और अर्द्ध चंद्र ” ( आधा अ का चिह्न, फिर अ का आधा यथोक्त स्थिति में जहाँ अधूरा स्थिति है, वहीँ पूर्व मात्रा व अक्षर ध्वनि को विस्तार देता है । अ की सभ्यता को अर्द्ध चंद्र से दबाव डालकर हलंत चिह्नांकन लिए आधा उच्चारण पर ग़लतफ़हमी पैदा किया जाता है । वहीँ आधा अ के लिए अन्य सहित s , फिर s का कई ‘स्टाइल’ उसी भांति प्रयुक्त होंगे , जैसा कि अंग्रेजी वर्णमाला के कैपिटल और स्माल लेटर के साथ होता है। जैसे:- ‘राम’ लिखने के लिए रोमन लिपि में 31 प्रकार से लिखा जा चुका है !

★7. ” इ चिह्न /अनुस्वार चिह्न / चंद्र-बिंदु चिह्नांकन ” (ह्रस्व ‘इ’ चिह्न के ऊपर बाँयें स्थान पर अर्द्ध चंद्र चिह्न का प्रयोग अजूबा और नवीन है , किन्तु ह्रस्व इ चिह्न से अर्द्ध-चंद्र चिह्न का उच्चारण पहले होगा । इनसे पहले अक्षर /मात्रा के सीमित दबाव को कुछ आगे बढ़ाकर उच्चारित करना । यहां “अर्द्ध-चंद्र =2/3 ए यू, न ×1/2= अनुस्वार, न×1/4= चंद्र-बिंदु” है)

★8. “अर्द्ध-चंद्र चिह्न/चंद्र बिंदु चिह्न पर हलंत/दो योजक पर अर्द्ध चंद्र/दो अर्ध चंद्र/.. पर अर्द्ध चंद्र/ तीन अर्द्धचंद्र /.पर अर्द्धचंद्र /तीन योजक पर अर्द्धचंद्र और हलंत /अर्द्ध चंद्र और अनुस्वार पर हलंत” (अनुस्वार और चंद्रबिंदु ध्वन्यात्मक-रूप में न कार {नाक से आवाज} पैदा करते हैं ।चूंकि तृतीया के चाँद को चंद्र चिह्न, फिर इस चिह्न पर हलंत लगने पर अर्द्ध चंद्र और चाँद पर तारा बिंदु रहने पर चंद्रबिंदु कहलाता है । हलंत की स्थिति ध्वनि को भी आधा कर देता है। वहीँ अर्द्ध चंद्र , जो चंद्र चिह्न के लिए 2/3 ए यू का ध्वनि देकर दबाव के परिप्रेक्ष्य में तीन योजक चिह्न तक क्रमिक ध्वनि-अंतराल के साथ कॉम्बिनेट करता है । अनुस्वार चिह्न, चंद्र चिह्न “.” / “..” / “;” इनके साथ नासिका-स्पर्श होकर अर्द्ध विराम लगवाकर ध्वनि को स्तब्ध – ध्वनि में परिणत करता है)

★9. “¢ 0 या फ़ाइ शून्य हलंत / √¢¢ हलंत / 0 हलंत / ¢ हलंत / √० /√¢ ” (यहां शब्द के भेद कर्ता में शून्य चिह्न, फाइ चिह्न आदि ‘ब्लैंक’ ध्वनि को सूचित करता है। गणितीय भाषा में भी शून्य और फाइ शब्द का अर्थ रिक्ति से है ,¢ (0 को ऊपर से एक रेखा से उदग्र काटना), रिक्त समुच्चय में भी ऐसी स्थिति है । शून्य में हलंत हो या फाइ को √ के अंदर रखना — इन सभी स्थतियों में ध्वनि उच्चारित नहीं होता है यानी ” “)

★10. ” ‘!’ पर हलंत/ ! पर अर्द्ध चंद्र और हलंत / ओ ,आ , ए, अर्द्धचंद्र लिए ऐ, इ, इ ई, आ इ, इ अनुस्वार , आ पर दो हलंत, ई के बांये-दांये अर्द्धचंद्र,बिंदु और अर्द्धचंद्र इ , इ इ , ई ई के चिह्न या प्रतीक पर हलंत”( ! ÷2 = वही उच्चारण होगा, जो पहले वाले अक्षर की ध्वनि है । ऐसे चिह्नों के बाद जहाँ ‘)}]’ बंद – कॉलम अध्वनि की सूचना देती है ।इसलिए एक समान चिह्नात्मक-ब्यौरे इस परिप्रेक्ष्य में है । तभी तो अर्द्धचंद्र का चिह्न एतदर्थ दबाव डालकर उन्हें हलंत चिह्न से सीमित करता है । ‘ओ’ कार में ‘ए’ कार के लिए अलग हलंत तथा ‘अ’ कार के लिए अलग हलंत मिलकर भी ध्वनि-विस्तार को सीमित करता है , यही वस्तुस्थिति ‘आ’ कार और ‘ऐ’ कार में हलंत साथ है । ‘इनवर्टेड कॉमा’ में ‘ ‘ (अर्द्धावतरण) और ” ” (पूर्णावतरण) चिह्न बंद-ध्वनि की स्थिति है, जो कि ख़ास है । अंग्रेजी इ, इ इ, इ इ इ, सिग्मा चिह्न में अनुस्वार का प्रयोग ‘न’ कार का प्रयोग भर है , फिर इस पर हलंत ध्वनि पर नकेल कसना जो है । अन्य चिह्न उच्चारण – परम्परा के निहित है। हालांकि इनमें कई प्रतीक हाथ से लिखा जाने में ही संभव है, जो बहरहाल कंप्यूटर के ये ‘टाइप’ बोर्ड पर नहीं है)

★11. ” 0 × 0 ” (अँग्रेजी ‘ओ’ / ‘O’ न होकर यह गणितीय ‘0’ शून्य है , अर्थात् 0×0=0 होकर यह शब्दों के बाद/साथ लगकर उच्चारण को शून्य तक सीमित कर देता है , आगे कुछ नहीं पैदा करता । उसी तरह से 0-0=0, 0+0=0, 0 पर आवर्त्त घटा 0 पर आवर्त्त की स्थिति लिए ‘-‘ और ‘.’ भी उच्चारण को शून्य कर देता है , जो कि ‘सॉल्यूशन’ के बाद उच्चरित है)

★12. ” ., / । / ,` / ; / -; / अर्द्धचंद्र के साथ कॉमा , फिर हलंत भी ” ( अल्प विराम ‘ , ‘ या कॉमा का उच्चारण हालांकि ध्वनि को लघुत्तर करता है , किन्तु इनके पहले ‘ . ‘ फुल स्टॉप या पूर्ण विराम ‘।’ चिह्न ध्वनि को विराम देकर पूर्ण विराम लगाता है । जहां ‘ ; ‘ में उच्चारण अर्द्ध और पूर्ण विराम के बीच की ध्वनि निकलती है । फिर ऐसे प्रतीकों के बाद अर्द्धचंद्र की स्थिति प्रतीकोच्चारण में 2/3 ही बल डालता है । विदित हो, यहाँ योजक – चिह्न वैसे प्रतीकों में आकर एकसाथ ध्वनि केन्द्रित करता है)
★13. ” √ / √0 / √० में शून्य पर अर्द्धचंद्र / √० पर वर्ग / (√०) पर वर्ग / √० पर अर्द्धचंद्र / √० पर हलंत ” ( गणितीय-अनुशासन में ‘√’ प्रतीक वर्गमूल का है , जो अंकों में लगकर अंकों को बराबर अंकीय गुणन से कम करता है , उसमें √ पर हलंत चिह्न के साथ 1/2 होता ही है, जहाँ √० पर हलंत का उच्चारण भी शून्य है , किन्तु अर्द्धचंद्र का उच्चारण ध्वनि में 2/3 ए यू का दबाव देता है । फिर √० का वर्ग भी शून्य उच्चरित करता है । शून्य का उच्चारण ‘अहसास’ भर है । यह भाषा और गणित के बीच सामंजस्यता लाना है । तभी तो 0 का वर्ग =1 या ≠ 1, फिर 0 का घन = 0, 0 पर ० वर्ग = 1 एक अलग रिसर्च है)

★14. ” 0×∞ / ∞ पर हलंत / 0×0 और ∞ पर आवर्त चिह्न सहित हलंत / 0×[∞] पर आवर्त चिह्न सहित हलंत चिह्न / ∞ . . ×0 पर आवर्त सहित दो हलंत चिह्न” ( ∞ को ‘अनंत’ चिह्न के तौर पर लिया गया है , हिंदी भाषा में अनंत उसी के परिप्रेक्ष्यत: है । हल् चिह्न वास्तविक उच्चारण को सीमित करता है तथा उच्चारण ‘इ……’ से लंबी ध्वनि ध्वनित कराये जाते हैं, किन्तु शून्य के साथ गुणित होकर ‘अहसास’ ध्वनि अथवा ध्वनि को ‘ब्लैंक’ कर देता है । रोमन लिपि ने ढेर सारे नव वर्णचिह्न अपने लिपि में शामिल किए । यहां 666 प्रतीक गणित-सांख्यिकी से लिए ध्वनि उत्प्रेरित करती है)

★15. ” 0 पर अर्द्धचंद्र पॉवर ÷ 0-0 / आधा य् और 0 पर हलंत/ 0.0 पर आवर्त्त / 0×0 पर आवर्त और × / 0 और इ चिह्न पर अर्द्धचंद्र और हलंत / 0– पर हलंत / आधा अ और 0 पर अर्द्धचंद्र तथा हल् / आधा अ में 0 हल् सहित / इ का अलग type और 0 सहित हल् / इ 0 ई चिह्न पर हल् / 0 पर अनुस्वार और हल् / 0 और आधा अ हल् सहित संयुक्त / आधा अ पर 0 पर अर्द्धचंद्र / 0×अर्द्ध चंद्र ÷आधा अ / [० चंद्रबिंदु पर हलंत ] पर हलंत / [(∞)] पर वर्ग / [{(0) पर हलंत / – – × 0 पर आवर्त्त / [० – – ] / इ चिह्न और 0 पर हल् और आवर्त्त / 00 दोनों पर हलंत / चवर्ग का अंतिम वर्ण का आधा पर दो हलंत × 0 / 0.0 × 0.0 दोनों पर आवर्त / (0 : ) के अंदर-बाहर हलंत / style में आधा अ के साथ 0 में हलंत सहित ” (जैसा कि नियम-15 में स्थिति- वर्णन किया है । शून्य ध्वनि को लेकर जहाँ ‘पावर’ , चंद्रबिंदु हलंत, अर्द्धचन्द्र , 2/3 ए यू के लिए उच्चारण शून्य अथवा ‘ब्लैंक’ जाता है । अँग्रेजी ‘इ’ के उच्चारण में खिंचाव ें खिंचाव के साथ श्री के लिए लंबा तान वही उच्चरित करता है । शून्योच्चारण के बाद आधा अ बोलना है । चूंकि शून्य किसी भी चिह्न के साथ गुणन होकर ‘0’ में तब्दील हो जाता है । कॉलम चिह्नों के साथ शून्य ध्वनि अटक जाती है, परन्तु यह हलंत के साथ ‘ब्लैंक साउंड’ हो जाता है । ‘- -‘ भी घ्वनि-अंतराल को ‘कॉम्बिनेशन’ लिए है । कैलिग्राफी टाइप भर है । ‘श्री + 0’ = श्री । ‘श्री – 0’ = श्री । यहां कर्त्ता के ‘ने’ चिह्न है तो ‘0’ चिह्न भी है । ‘राम ने कहा’ और ‘राम कहा’ — दोनों सही है)

★16. “चवर्ग का अंतिम वर्ण के मुख के अंदर अर्द्धचंद्र पर हलंत चिह्न / अ का अन्य टाइप / आधा इ और आधा अ पर हलंत / इ हलंत और s को इ चिह्न के साथ / आधा अ आधा य सहित हलंत / चवर्ग के ‘ञ् ‘ वर्ण में दो हलंत / आधा अ आधा इ पर प्लुत ध्वनि के साथ / s आधा य s पर हलंत / 1÷4 य पर हलंत और इ चिह्न / इ में ए कार पर हलंत /s में ए कार और हलंत / आधा इ आधा अ पर अलग-अलग हल् चिह्न / 1÷4 अ और 1÷2 अ पर हलंत सहित अर्द्धचंद्र चिह्न / स्टाइल में ऍ हल् चिह्न / आधा अ पर हलंत और अर्द्ध चंद्र / आधा s पर हलंत और अर्द्धचंद्र / आधा s दो अर्द्ध चंद्र/आधा अ के अंदर 1÷2 य् / चंद्रबिंदु और आधा अ / आधा s और 1÷4 य पर हलंत और अर्द्धचंद्र / चंद्रबिंदु और 1÷4 य् / style में इ चिह्न और 1÷4 अ / अलग-अलग स्टाइल में अ, इ, s ,फाइ, अर्, एर्, इर्/ [{आधा अ} पर हल् चिह्न ” (प्रस्तुत प्रयोग भी एक शैली है , वर्ण के आधा /चौथाई उच्चारण सहित कई हलंत, विविध प्रतीक , स्वर चिह्न इत्यादि को नए सिरे से परिभाषित और ध्वनित करता है। तभी तो अंगिका भाषा में ए कार के लिए अलग चिह्न (उल्टा ` ) निर्धारित है , तो कैथी लिपि में ‘रेख’ नहीं होता है, बावजूद ध्वनि उत्पन्न होता है)

★17. ” र’ ध्वनि” (जो कि वॉल्यूम के आवरण पर निर्भर है , यथा:– ऱ, र्, र्र, रेफ, र और s संयुक्त , रफ्ला, नीचे ओर ^ सहित ड़= हलंतयुक्त आधा अ आधा ह 0 ड÷2 पर हलंत र पर दो हलंत .., ढ़= हलंतयुक्त आधा अ आधा ह् 0 ढ र्… और र =र् 0 ह् पर हलंत 0 आधा s…। इसके साथ ही अन्य विवेचन स्वतंत्र ध्वनि लिए भी है । )
18. “स’ ध्वनि “( श् = ष पर हलंत = श्र – र् = सॅ = स्स =श् s
में + के बाद ‘आधा ह् आधा s 00 ..’ की ध्वनि है। उदाहरणस्वरूप श्री में सिर्फ श्री उच्चारण नहीं, बल्कि आगे की तान भी है , जिनमे कई वर्ण-प्रतीक ऊपर-नीचे, दायें-बाएँ चिह्नांकित हुए ध्वनित है । वृहद् व्याख्या में श =श् श पर हलंत=सः, ष=ष और ष में अलग-अलग हलंत, स=स् स पर हलंत, स् ह् =श =स्स भी अलग-अलग स है, किन्तु उच्चारण इस दृष्टि में सामान है)

★19. ” अ’ ध्वनि ” (अ=ह् हलंत आधा अ 0 .. /अं=अनुस्वार ÷ ह् हलंत आधा अ 0 .. / अः=ह् हलंत आधा अ 0 s ह् ******** इसी भाँति क़= क्+ह् हलंत आधा अ 0 ..। इसके साथ ही अं को लेकर स्वतंत्र ध्वनि है तो अः का उच्चारण + ‘s ह् ‘ है)

★20. ” ह’ ध्वनि ” ( ह= आधा s ह् 0 ../ आ = आधा s ह् 0 आ के लिए चिह्न …/ इसतरह से ‘ह’ उच्चारण संकेत चिह्नों के साथ इ, ई, उ,ऊ, ख़, घ,छ,झ,ठ, ढ, थ,ध, फ़ भ के उच्चारण भी होंगे / ‘३’ प्लुत चिह्न= जोरदार ध्वनि लिए ‘अ.0’ या ‘अ दशमलव शून्य’, फिर ‘ह.0’ या ‘ह दशमलव शून्य ‘ सही है / ह्=1÷2 ह)

★21. “य और व ध्वनि” (य=आधा य पर आवर्त्त ‘0’ आवर्त्त 0 में हलंत 0 आधा s / व=आधा व पर आवर्त ‘0’ आवर्त्त 0 में हलंत 0 आधा s / ए=आधा s आधा य् ‘ए ‘ कार चिह्न 0 .. = आधा s आधा य् ‘ए’ कार चिह्न आधा s / इस तरह से सबके लिए निर्धारित संकेत-चिह्नों के साथ इन वर्ण-संधि के साथ ऐ, ओ,औ के लिए यही सूत्र निर्धारित होंगे । जहाँ आधा य = 1/2 य, आधा य् = 1/4 य । शून्य स्वयं में 0 का उदग्र से पेट कटा चिह्न फाइ है)

★22. ” ऋ’ ध्वनि ” (र= र् 0 आधा ह् 0 आधाs 0 / ल=ल् 0 आधा ह् 0 आधा s 0/ ri = ह्री हलंत और इ कार का चिह्न / ree= हृ हलंत और ई कार चिह्न / दीर्घ ऋ = लृ =ळ् ऋ /दीर्घ लृ =लृ ई पर हलंत । उदाहरण:– अमरीका= अमेरिका= अमऋइका =अमेऋका । विदित है, हलंत का प्रयोग भी अद्भुत स्थिति लिए है)

★23. “श्र / क्ष/ त्र/ ज्ञ ध्वनि ” (श्र= श् 0 र् 0 ह् s 0 ../ क्ष= ह्s 0 .क् 0 च् 0 छ पर हलंत / त्र=त 0 र् 0 ह् s 0.. / ज्ञ=ग् 0 य् 0 ह् s 0.. । जैसे:–ग्यारह =’ ज्ञ + आरह ‘ भी उच्चरित हो सकता है)

★24. ” पंचमाक्षर ध्वनि ” ( ङ् = s ग् अनुस्वार / कवर्ग का मध्य वर्ण ‘ग’*** ञ= s ज् अनुस्वार / चवर्ग का मध्य वर्ण ‘ज’*** ण= s आधा ड सानुस्वार / टवर्ग का मध्य वर्ण ‘ड’*** न = s आधा द सानुस्वार / तवर्ग का मध्य वर्ण ‘द’*** म=s ब् अनुस्वार / पवर्ग का मध्य वर्ण ‘ब’*** …………लिए सही उच्चारण है)

★25. “नवजात शिशु या बछड़े के मुख से निकला पहला आवाज ‘आं’ से ही सभी वर्ण-संगत ध्वनियां निकली हैं। यथा:-
आं~~~आ_अ_s / अ इचिह्न_अ ईचिह्न / सभी स्वर वर्ण ।
व्यंजन वर्ण के लिए ‘माँ’ कहा जाने के साथ इसतरह के वर्ण उभरे।

★26. “अँग्रेजी वर्णमाला में कैपिटल (ए टू जेड ) और स्माल (ए टू जेड) वर्ण-स्थिति को लेकर ’52’ वर्ण हैं । अंतिम शोध के अनुसार हिंदी में भी ’52’ वर्ण हैं, यथा:-
स्वर:-अ,इ,उ=3/ संयुक्त स्वर:-आ,ई,ऊ,ओ,औ,ए,ऐ,ऋ=8/ व्यंजन:-‘क’ से ‘म’ तक =25/ व्यंजन-स्वर:-य,ल,व,स,श,ष,ह=7/ स्वर-व्यंजन:-र,ड़,ढ़=3/ संयुक्त व्यंजन:-क्ष,त्र,ज्ञ,श्र,ॐ=5/अन्य:-अं=1 (कुल=52)
इनके अलावा ध्वनियाँ एवम् प्रतीकार्थ चिह्न ही हैं ।

●●सार्थक शब्दों के लिए बहस हो….

‘साहित्य अमृत’ (पृष्ठ-61, जनवरी 2001):– “……भाषा-प्रयोग में श्री रमेश चंद्र मेहरोत्रा की कुछ बातें गलत है कि ‘निम्न उदाहरण’ का अर्थ ‘तुच्छ उदाहरण’ होता है, जो पूर्णतः भ्रामक तथ्य है । यहां ‘निम्न’ शब्द को ‘क्वालिटी’ के सन्दर्भ में न लेकर अगर ‘नीचे’ के सन्दर्भ में ले तो ज्यादा ही सार्थ-पहल होगा। ‘तुम से’ और ‘तुम-से ‘ दोनों सही हैं, बशर्तें हमें यह देखना है की इन दोनों का प्रयोग कहाँ हो रहा है ? दोनों में ‘जैसे’ की प्रधानता है, विशेषत: ‘तुम-से’ में जोरदार-जैसे है । ‘सारे जहाँ से’ से अधिक ‘सारे जहाँ में’ में अर्थ की यथेष्ट प्रबलता है ।”
—– इसके साथ ही हिंदी मे द्विलिंगी शब्दों की संख्या बहुतायत में है । दो या दो से अधिक सार्थक शब्द/शब्दों के संधि-शब्द अलग-अलग लिंग -स्थिति के चलते द्विलिंगी होते हैं । ‘विद्यालय ‘ द्विलिंगी शब्द के उदाहरण हैं । वहीँ ‘पटने ‘ कहने से पटना के लिए कोई बहुवचन-बोध नहीं होता है । शब्दों के पीढ़ीगत-सन्ततिनुमा शब्द को ‘अपत्यवाचक संज्ञा ‘ कहते हैं , जैसे:– दशरथ से उनके पुत्र ‘दाशरथी’ कहलाये। दीर्घान्त शब्दों के बहुवचन बनाते समय ह्रस्वान्त के बाद ‘याँ’ जोड़ें । चंद्रबिंदु तो अब अनुस्वार हो गया है…. कई प्रयोग समयावसर होते हैं। यही तो भाषा की ग्राह्य-विविधा है।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 362 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उड़ चल रे परिंदे....
उड़ चल रे परिंदे....
जगदीश लववंशी
Sometimes you shut up not
Sometimes you shut up not
Vandana maurya
"वचन देती हूँ"
Ekta chitrangini
जमाने को खुद पे
जमाने को खुद पे
A🇨🇭maanush
माँ आज भी जिंदा हैं
माँ आज भी जिंदा हैं
Er.Navaneet R Shandily
मछली रानी
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आज हमने उनके ऊपर कुछ लिखने की कोशिश की,
आज हमने उनके ऊपर कुछ लिखने की कोशिश की,
Vishal babu (vishu)
अब प्यार का मौसम न रहा
अब प्यार का मौसम न रहा
Shekhar Chandra Mitra
रणजीत कुमार शुक्ल
रणजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
संभव है कि किसी से प्रेम या फिर किसी से घृणा आप करते हों,पर
संभव है कि किसी से प्रेम या फिर किसी से घृणा आप करते हों,पर
Paras Nath Jha
देशभक्ति
देशभक्ति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
जन कल्याण कारिणी
जन कल्याण कारिणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
दोहा
दोहा
sushil sarna
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Sakshi Tripathi
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
न कोई काम करेंगें,आओ
न कोई काम करेंगें,आओ
Shweta Soni
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
हमदम का साथ💕🤝
हमदम का साथ💕🤝
डॉ० रोहित कौशिक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#drarunkumarshastri♥️❤️
#drarunkumarshastri♥️❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रार्थना
प्रार्थना
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
-आगे ही है बढ़ना
-आगे ही है बढ़ना
Seema gupta,Alwar
*छतरी (बाल कविता)*
*छतरी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...