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24 May 2024 · 1 min read

हालात

ज़माने का सितम दिल पर मेरे नासूर करता है।
ये दुनिया का फ़साना लिखने को मजबूर करता है ।
वया कैसे करु इस देश के बिगड़े हालातों को ।
सभी के ज़ख्मों पर मरहम लगे दिल खूब करता है।
ज़माना है सभी के माल का भूखा मेरे यारों।
ये दौलत के नशे में अपनों को बर्बाद करता है।
मिटा दिया है रिश्तों को दौलत के नशे में अब ।
जुड़े रिश्ते दोबारा फिर दिल यही फरयाद करता है ।
रहे ना फ़र्क दुनिया में अमीरी और ग़रीबी का ।
वो दुःख देकर सभी के दुःखों को दूर करता है ।
मुसिबत में सभी को साथ दे यह बेरहम दुनिया।
ऐसे ही जज्बे को दिल मेरा अब सलाम करता है।

Language: Hindi
31 Views
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