” हालात नहीं बदले हैं ” !!
सीमा पर वही तनातनी ,
संकट के बादल गहरे !
छद्मयुद्ध दुश्मन करता ,
कितने बैठायें पहरे !
आतंकी सदमे में थोड़े –
लेकिन सम्भले सम्भले हैं !!
भारत विरोध के नारे हैं ,
बदले की आवाजें उठती !
काश्मीर दुखती रग जानो ,
हैं साँसे वहां अटकती !
सेना,सत्ता,आतंकी के –
ख़्वाब वही रुपहले हैं !!
भीतरघात यहाँ होनी है ,
खार खाये बैठा दुश्मन !
यहाँ वहाँ मोर्चे साधे हैं ,
फैलाये बैठा है फन !
विषदंत तोड़ने को आतुर –
करना हमको हमले हैं !!
धुंध धुंआ है गोलीबारी ,
हाथों में हैं हथगोले !
कितना कब तक धीर धरे ,
अब दिमाग में हैं शोले !
तुम्हे जीत का छोर मिले ना –
फिर नहले पर दहले हैं !!