हार नहीं मानूंगी
??हार नहीं मानूंगी??
हार नहीं मानूंगी, रार नहीं मानूंगी,
जीवन के पथ में कभी,
हार नहीं मानूंगी।
चलते जाना-चलते जाना,
गिर-गिर कर उठना
उठ कर गिरना,
जख्मों की पीड़ा सहकर!
फिर भी हार नहीं मानूंगी—-+
अटल हिमालय सी होकर,
नदियों सी झर-झर बहकर,
त्रास जगत के सारे सहकर।
फिर भी हार नहीं मानूंगी—-
तुम ही मेरे हो पथगामी,
जीवन की बगिया के,
तुमसे ही खिले कुसुम-कलिका
मेरे बागवां के,
आने से पतझड़ के भी।
फिर भी हार नहीं मानूंगी——
मेरे उर के अन्तस् से निकली हुई
आवाज हो तुम,
जिंदगी का राग ,श्रृंगार और
साज हो तुम,
जीवन की खुशियां और
बहार हो तुम,
धरा पर कांटो की वारिश भी हो जाए।
फिर भी हार नहीं मानूंगी——-
जीवन पथ में!
हार नहीं मानूंगी
हार नहीं
मानूंगी!!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर