“हार-जीत”
“हार-जीत”
हार मानने से होती है,
जीत ठानने से होती है।
भावनाओं में बिन डूबे,
आँखें कभी ना रोती हैं।
“हार-जीत”
हार मानने से होती है,
जीत ठानने से होती है।
भावनाओं में बिन डूबे,
आँखें कभी ना रोती हैं।