*हाय! रे पढ़ाई*
भारी-भरकम बस्ते लेकर,
जब जाते थे स्कूल,
माँ के हाथ से खाना खाकर,
थकावट जाते थे भूल,
पर आज तो……
इस ऑनलाइन पढ़ाई ने धूम मचाई,
घर बैठे-बैठे बच्चों को,
माँ की सहनी पड़ती रुसवाई,
मोबाइल-लैपटॉप ने फ़ोड़ डाली है आँखें,
बच्चों का हुआ बुरा ही हाल,
आवाज़ ना आए मैडम की ऑनलाइन से तो,
पूछें कैसे सवाल?????
हाँ,जी हाँ,जी करते-करते बच्चे तंग हैं आए,
जब मैडम की आवाज़ आ गई,
बच्चे तब सुस्ताएँ,
जिस मोबाइल मुए से दूर रहने की,
देते थे बच्चों को सब सलाहें,
उसी मोबाइल-लैपटॉप पर आज ये बच्चे,
सुबह से दोपहर तक क्लास लगाएँ,
हाय! रे ये कैसी पढ़ाई,
जहाँ बच्चे, बिना पढ़े प्रमोट हो जाएँ,
कैसा तूँ आया है कोरोना,
ये तूने कैसे रंग दिखाए।।
✍स्वरचित
माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा।