हां मैं पागल हूं दोस्तों
जो देखती है वही दिखाती है
ये आंखें मेरी झूठ बताती नहीं
कौनसा सच कहना है कौनसा नहीं
ये होशियारी मुझको आती नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं
ईमानदारी से निभाता हूं रिश्ते
किसी से दगाबाजी करता नहीं
रात को रात और दिन को दिन कहता हूं
कभी किसी से मैं डरता नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं
दरिया हूँ अपना रास्ता ख़ुद बनाता हूँ
कभी हवा के संग मैं बहता नहीं
जैसा हूँ वैसा ही रहता हूँ
गिरगिट की तरह रंग बदलता नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं
किसी ने जो भी कहा सच मान लेता हूँ
अपने दोस्तों पर अविश्वास करता नहीं
दोस्ती करता हूँ तो निभाता हूँ हमेशा
दगा अपने दोस्तों से मैं कभी करता नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं
देखकर दुख दर्द में किसी को
मुझसे तो रहा जाता नहीं
कोशिश करता हूँ मिटाने की उनको
मुझसे चुप रहा जाता नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं
देखता हूँ सपने जो कभी मैं
उन्हें भी अपना मान लेता हूँ
जो आता है ज़िंदगी में मेरी
उसे मैं कभी भुलाता नहीं
हां मैं पागल हूं दोस्तों
थोड़ा अनाड़ी हूं खिलाड़ी नहीं।