#कविता//अरे! धनुष तो तुम तानो
मंज़िल तक जाने को सबको , पथ में चलना पड़ता है।
शोभा तभी अँगूठी में नग , मोती जड़ना पड़ता है।।
यूँ ही नहीं सफलता मिलती , श्रम तो करना पड़ता है।
अच्छाई हेतु बुराई से , प्यारे लड़ना पड़ता है।।
सपने अपने हो सकते हैं , इच्छा सच करने की हो।
रिश्ते नाते बन सकते हैं , जिदद प्रेम भरने की हो।।
दूर अँधेरा हो जाएगा , जब तुम दीप जलाओगे।
हर मंज़र तुमको भाएगा , दीदार अगर चाहोगे।।
आसान नहीं नामुमकिन क्या ? कुछ करने की ठानो तो।
कुछ भी हासिल कर सकते हो , पहले मन से मानो तो।
ज़ोश भरो तुम होश करो तुम , निज ताक़त को पहचानो।
तीर निशाने पर जाएगा , अरे!धनुष तो तुम तानो।
#आर.एस.”प्रीतम”
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना