हसीन हुस्न
***** हसीन हुस्न *****
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वादियों की हसीना हुस्न है
सावन का महीना हुस्न है
चंबे की पगडंडी सा साफ
निर्झर का किनारा हुस्न है
बहारों सा है सदाबहार
मौसम सा मस्ताना हुस्न है
दरिया सी गहराई भरा
नैया पार लगाना हुस्न है
उलझी भूल भूलैया सा
तंदो में उलझाना हुस्न है
जलते जलते जल गया
शमाँ का परवाना हुस्न है
अंधियारों भरी डगर में
दीपक जगाना हुस्न है
मनसीरत खोया खोया है
प्रेम का अफसाना हुस्न है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)