– हर हाल में एक जैसे रहो –
हर हाल में एक जैसे रहो –
खुशी में ज्यादा उत्साहित मत हो जाओ,
दुख में अति व्यथित मत हो जाओ,
रहो तठस्थ इस दुनिया में,
सुख और दुख दोनो पहिए समय के बदलते पल भर में,
आदमी को पैसा आने पर नही करना चाहिए अभिमान,
आजकल के रिश्तों तुलते धन की गठरी के भाव,
रिश्ते वाले गरीब है तो उनसे नाता नहीं रखते,
दूर के रिश्ते दार अगर हो पैसे वाले तो लगते अपने परिवार समान,
एक बात भरत यह कहता आप सभी से
पैसो के मापदंड पर न करो रिश्तों का आकंलन,
रिश्तों नाते अटूट रखो लक्ष्मी चंचल कही जाए,
हर हाल में एक से रहो ,
मत करो ज्यादा अपने आप पर गुमान,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान