हर बार बिखर कर खुद को
हर बार बिखर कर
खुद को समेट लेती हूं,
रोकने वाले तो बहुत हैं,
मैं फिर भी चलती रहती हूं।❤️
– लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हर बार बिखर कर
खुद को समेट लेती हूं,
रोकने वाले तो बहुत हैं,
मैं फिर भी चलती रहती हूं।❤️
– लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा