हर बार तुम
तुम मधुमय निर्झर का जल
नित्य निनादित नित्य प्रवाहित
हर पल निर्मल हर पल कल-कल
शीतल हीतल जलधार तुम हो
अशांत मन की कगार तुम हो
हृदय तल में हर बार तुम हो
अशोक सोनी
भिलाई ।
तुम मधुमय निर्झर का जल
नित्य निनादित नित्य प्रवाहित
हर पल निर्मल हर पल कल-कल
शीतल हीतल जलधार तुम हो
अशांत मन की कगार तुम हो
हृदय तल में हर बार तुम हो
अशोक सोनी
भिलाई ।