हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे ।
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे,
लेकिन तुम्हारे कदम मजबूत कराएँगे,
तुझे तेरे कदमों में चलना सिखाएंगे,
कदम तुझे अपना बढ़ाना सिखाएंगे,
हार कर भी तुझको जितना सिखाएंगे।
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे,
मुश्किलों उन लम्हो से परिचित करना सिखाएंगे,
दर्दनाक पहलुओं को सहना सिखाएंगे,
निराशा में आशा की राह हम दिखाएंगे,
मानव की औलाद हो फौलाद तुमे बनाएंगे।
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे,
अभ्यास से तुमको तुम्हारी आदत में लाएंगे,
धीरे-धीरे तुमको परिपक्व बनाएंगे,
एक दिन स्वयं को कहते ये पाओगे,
काबिल हुआ अब औरोंं को भी उठाएंगे।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।