अविश्वस्नीय सत्य
अविश्वस्नीय सत्य जब आंखो के सामने आ जाए,
विश्वासघात जब किसी का सीने में घर कर जाए,
आत्मा टूट जाए किसीसे बेपरवाह जिंदगी हो जाए,
जब जीता जागता खुश दिल इंसान मुर्दा हो जाए,
जब कचोटे हृदय को वह अटल सत्य वह कहां जाए,
मन भंवर में उलझनों में पल पल और उलझता जाए,
एकांत की तलाश में वो दर दर और भटकता जाए,
जब निरछल व्यक्ति को अविश्वनीय सत्य हरा ले जाए
सूख जाए आंसू की दरिया हो जाए दिल जब पत्थर,
तब यादों की स्मृतियां क्यों हर पल जीवन लिए जाए,
टूट गया जो अंतर्मन से दुनिया के किस कोने में जाए,
विश्वासघात से मिली विरह की वो तड़पन कहां बुझाए।।