हरवक्त तुम मेरे करीब हो
ज्यादा दूर नहीं हूँ तुमसे,
मैं तेरे बहुत ही करीब हूँ ,
सभी मुझको छोड़कर,
निकल गए हैं अपनी अपनी मंजिल पर।
लेकिन मैं आज भी,
नहीं जा सका दूर तुमसे,
शायद तेरे साथी भी अब तक,
बना चुके होंगे अपनी अपनी बस्ती।
लेकिन मैं तो अभी भी,
मौजूद हूँ तेरे शहर में ही,
शायद वो बहुत कम होंगे,
जो याद करते होंगे तुम्हें।
मैं तो आज भी,
हरदिन- हरवक्त,
सिर्फ तुम्हें ही याद करता हूँ ,
कसम तेरी कसम।
इस दौड़ती जिंदगी में,
किसके पास है इतना समय,
कि कोई किसी से मिले,
निकालकर अपना समय।
लेकिन मैं तो आज भी,
उत्सुक हूँ तुमसे मिलने को,
और मेरी इच्छा यही है कि,
हरवक्त तुम मेरे करीब हो।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)