Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2020 · 2 min read

हम 100 कलाम हैं

स्वाधीनता के नव विचारों का नया पैगाम है
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

1) हम नव विचारों की धरा, हममें खिले नित नव कमल,
प्रण जो करें संकल्प से, वह वास्तविकता में अटल,
ले ज्ञान कर सम्मान सबका, चल रहे निज राह पर,
नव भूमि प्रांगण में बने, कल के नए आयाम हैं,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

2) हम नव विचारों के धनी, हम पर ना आधिपत्य हैं,
किसी झूठ की शंका नहीं, हममें भरा बस सत्य है,
कर्तव्यनिष्ठ, कर्तव्य का पालन करें हम धर्म सा,
मर्यादा के पालक है हम, जैसे स्वयं श्री राम है,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

3) हम सर्वमुखी प्रतिभा धनी, कर्तव्य का पालन करें,
हम शांत, शील, प्रवाहमय, वाणी में कोमलता धरें,
अधिकार से पहले करें कर्तव्य का पालन सदा,
उत्कृष्ट भूमि में बने कल के नये परिणाम हैं,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

4) प्राचार्य की आशाओं का हम एक नवल सा रूप हैं,
जो हैं किये बलिदान उनका एकमेव स्वरुप हैं,
उत्साह ले, करते परिश्रम, प्रगति पथ पर बढ़ रहे,
पथ की तरफ है जोश, पर जीवन में ना आराम है,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

5) विद्यालय का गौरव हैं हम, ये शिक्षकों की देन है,
एकाग्रचित रहते सदा, बस लक्ष्य पर ही नैन हैं,
अब पूर्ण परिश्रम से बढ़ेंगे प्रगति पथ की ओर हम,
ये लेते हैं संकल्प और साक्षी सकल आवाम है,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

6) ऐसे करेंगे काम हम, हो नाम शाला का बड़ा,
हो राहें कितनी भी कठिन, पाओ सदा हर एक खड़ा,
मन में भरा उत्साह, चेहरे पर चमकता तेज है,
भारत ने खोया एक है, पाये नये 100 नाम हैं,
भारत के हम रंगीन सपने, हम ‘100 कलाम’ हैं l

:- राजकुमार “प्रेमी”

जय हिन्द-जय भारत

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खूबसूरत चेहरे
खूबसूरत चेहरे
Prem Farrukhabadi
कुंडलिया - होली
कुंडलिया - होली
sushil sarna
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
वक्त की जेबों को टटोलकर,
वक्त की जेबों को टटोलकर,
अनिल कुमार
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"सुनहरा दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
दिल चाहे कितने भी,
दिल चाहे कितने भी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिंदगी को रोशन करने के लिए
जिंदगी को रोशन करने के लिए
Ragini Kumari
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
The_dk_poetry
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
बेफिक्री की उम्र बचपन
बेफिक्री की उम्र बचपन
Dr Parveen Thakur
*दानवीर व्यापार-शिरोमणि, भामाशाह प्रणाम है (गीत)*
*दानवीर व्यापार-शिरोमणि, भामाशाह प्रणाम है (गीत)*
Ravi Prakash
Nothing you love is lost. Not really. Things, people—they al
Nothing you love is lost. Not really. Things, people—they al
पूर्वार्थ
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
Er. Sanjay Shrivastava
💐प्रेम कौतुक-182💐
💐प्रेम कौतुक-182💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
Om Prakash Nautiyal
इंसान हूं मैं आखिर ...
इंसान हूं मैं आखिर ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ढंका हुआ झूठ
ढंका हुआ झूठ
*Author प्रणय प्रभात*
जल से सीखें
जल से सीखें
Saraswati Bajpai
Loading...