हम साथ- साथ हैं
१४)
” हम साथ-साथ हैं ”
उम्र के इस पड़ाव पर
हम-तुम अब भी साथ हैं
रहेंगे साथ सदा हीजबतक
हाथों में तेरा हाथ है।
आ , तू थक गई है
गोदी में मेरी सिर रख ले
जिंदगी भर किया है तूने
आ, थोड़ा सा आराम कर ले।
छोड़ेंगे न साथ कभी
आओ, ये वादा करते हैं
हर लम्हा प्यार से गुज़रे
चाहे फर्श पर बसर करते हैं।
स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता, इंदौर