"राज़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जनक छन्द के भेद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
देश के अगले क़ानून मंत्री उज्ज्वल निकम...?
Maine apne samaj me aurto ko tutate dekha hai,
हर दिन रोज नया प्रयास करने से जीवन में नया अंदाज परिणाम लाता
Time Travel: Myth or Reality?
ढोना पड़ता देह को, बूढ़ा तन लाचार (कुंडलिया)
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
अब तो उठ जाओ, जगाने वाले आए हैं।
1- “जब सांझ ढले तुम आती हो “
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है