*हम विफल लोग है*
हम विफल लोग है
तुमने सच ही कहा हम विफल लोग हैं, तुमको हमसे निभाना नहीं चाहिए ।
ले रहीं जन्म तुमसे नयी कीर्तियाँ, क्रान्तियों के प्रबलतम प्रणेता हो तुम,
हम पराजित, अनाड़ी, घृणापात्र हैं, तुम सफल हो, कुशल हो, विजेता हो तुम,
हम तुम्हारी जड़ों के जनक हैं मगर, यह तुम्हें याद आना नहीं चाहिए ।।
तुमने सच ही कहा हम विफल लोग हैं,तुमको हमसे निभाना नहीं चाहिए ।।
पाँव हमने तुम्हें देख पीछे किए, इस तरह तुम सदा हमसे आगे रहे,
भाग्य का हर उजाला तुम्हें सौंपकर, हम स्वयं आयुभर को अभागे रहे,
तुम अभागों से रिश्ता रखो भी तो क्यों?हमसे मिलना – मिलाना नहीं चाहिए।।
तुमने सच ही कहा हम विफल लोग हैं, तुमको हमसे निभाना नहीं चाहिए ।।
आँख में आँसुओं का समारोह था, तुमको अनभिज्ञ कर मुस्कुराते रहे,
प्राण कहता रहा अब नही, अब नहीं, रक्त रिसते हुए पाँव जाते रहे,
धूल पर्दा किए जा रही घाव पर, तुमको मरहम लगाना नहीं चाहिए ।।
तुमने सच ही कहा हम विफल लोग हैं, तुमको हमसे निभाना नहीं चाहिए ।।
तुमको अँधियार में देखकर हम विफल,बिन लुटाए उजाला नहीं रह सके,
तुम किसी का अँधेरा नहीं बाँटना, तुमको कोई अभागा नहीं कह सके,
तुम बुझाते चलो सब दिए राह के, तुमको दीपक जलाना नहीं चाहिए।।
तुमने सच ही कहा हम विफल लोग हैं,तुमको हमसे निभाना नहीं चाहिए ॥