हम भूल तो नहीं सकते
हम भूल तो नहीं सकते हैं
तुम्हारी दी गई पीड़ा को
अपनी गरीबी के अपमान को
जीवन के इस संधर्ष को
मार्ग में मिली बाधाओं को
झुलसाती धूप के थपेडों को
जलती हुई देह की जलन को
पाँव में पड़े उन छालों को
उसके दर्द उसकी जलन को
उस वेदना की प्यास को
भूख की असहनीयता को
आपकी असंवेदनशीलता को
अपनी आत्मा की पीड़ा को
हम भूल तो नहीं सकते हैं!
डाॅ फौज़िया नसीम शाद