Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2024 · 1 min read

बादशाह

रोग से पहले इंसान मर जाएगा गरीबी से।
दवा किस काम आएगी जो मौत सिर पर छाएगी।
बिना निवाले के ये तन बेकल है।
गरीबी देश में सुरसा की तरह मुंह फैलाए फैली है।
अरबों खरबों खर्च करके नेता लोग कर रहे यहां रैली है।
लोक लुभावने वादे करना हर नेताओ की शैली है।
है भारत भ्रष्टाचार में संलिप्त।
केरल में साइलेंट वैली है।
एक नाम है केवल आसमां पर।
पर खाली है जमीं हर शान से।
जमीर बेचे बैठे है लोग यहां पैसे पर।
इज्जत भी बिक रही यहां।
उनके इजाजत से यहां सारा काम हो रहा है।
कहने को तो सब शरीफ है।
पर वही बदनाम है शराफत के शहर में।
गुंडागर्दी, गर्मी में भी सर्दी रौब का कुंहासा है।
यहां अपने आपमें सब बादशाह है।
रोज रोज यहां होता हादसा है।
कहे आनंद ये जग एक तमाशा है।
पलटता हर क्षण वक्त का पासा है।
कोई खा रहा राजभोग ।
तो कोई खा रहा बताशा है।
ये दुनिया है छीनने वालों की।
यहां अधिकार मांगने वालों की बुरी हालत है।
यहां ख़ुद का अस्तित्व ज़माने को।
सब कर रहे अपनी वकालत है।
सर्राफा बाजार का चलन है आजकल।
हो जिसके जेब में उसी के जज और अदालत है।

Language: Hindi
61 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वप्न लोक के खिलौने - दीपक नीलपदम्
स्वप्न लोक के खिलौने - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
हर एक राज को राज ही रख के आ गए.....
कवि दीपक बवेजा
#कविता-
#कविता-
*प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
चाय के दो प्याले ,
चाय के दो प्याले ,
Shweta Soni
नदी की मुस्कान
नदी की मुस्कान
Satish Srijan
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
Dil toot jaayein chalega
Dil toot jaayein chalega
Prathmesh Yelne
जीवन का एक और बसंत
जीवन का एक और बसंत
नवीन जोशी 'नवल'
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
Ravi Prakash
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
Sapna Arora
मेहनत की कमाई
मेहनत की कमाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों याद करूँ उनको
gurudeenverma198
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
सबको
सबको
Rajesh vyas
तू है तो फिर क्या कमी है
तू है तो फिर क्या कमी है
Surinder blackpen
कल रहूॅं-ना रहूॅं...
कल रहूॅं-ना रहूॅं...
पंकज कुमार कर्ण
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
अधूरी मोहब्बत की कशिश में है...!!!!
Jyoti Khari
बेटी और प्रकृति
बेटी और प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
तमाशा जिंदगी का हुआ,
तमाशा जिंदगी का हुआ,
शेखर सिंह
"सचमुच"
Dr. Kishan tandon kranti
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...