हम भी एक दिन बड़े बनेंगे ….
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे ….
बड़े-बड़े घोटाले होंगे,
माना के मुंह काले होंगे ,
फिर भी सीना तान चलेंगे ,
खद्दर से मुंह साफ करेंगे ,
लेनदेन की बात करेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे …
मानवता मर जाए तो क्या ?
कत्ल कोई हो जाए तो क्या ?
रह ना जाएं आंख में आंसू,
दिल पत्थर हो जाए तो क्या ?
एक लक्ष्य बस पैसा होगा ,
काला सफेद सब जमा करेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे….
कुत्तों से जो गंदा होगा,
फर्श को नौकर साफ करेंगे,
सूपनखा घर की रानी होगी ,
सीता बर्तन साफ करेगी ,
अकड़े हुए हम घूमेंगे ,
और लोग हमें आदाब करेंगेl
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे ….
हिंदी से फिर नफरत होगी ,
अंग्रेजी में बात करेंगे ,
माना थोड़ी दिक्कत होगी,
यस और नो में काम करेंगे,
हिंदी दिवस पर हिंदी खातिर,
कुछ पैसे हम दान करेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे….
पैसों का जब ढेर लगेगा ,
सर अपना फिर जाएगा ही ,
मानवता से फिर गांध आएगी ,
कुत्तों से हम प्यार करेंगे ,
जूते भी पहनाने को फिर,
यारो हम सर्वेंट रखेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे….
सोम सुरा से यारी होगी ,
जी चाहिए अय्याशी होगी,
जिंदा के मुख हाथ रखेंगे,
फिर उसको जिंदा लाश करेंगे ,
ताबूतों का व्यापार करेंगे,
कफ़न की खातिर दान करेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे…
जब बबलू डबलू डैड कहेंगे ,
उनकी मम्मा के हम हब्बी होंगे ,
फिर बाबूजी जी हम कैसे कहेंगे,
सुबह शाम क्यों चरण धरेंगे,
घर में रईसों का होगा आना-जाना,
ओल्ड केयर में उन्हें रखेंगे l
हम भी एक दिन बड़े बनेंगे ….
आधे कपड़ों में डाली होगी ,
ऐसे वैसे बर्दाश्त करेंगे ,
साथ में उसके ड्रिंक्स पिएंगे ,
अपने को एडजस्ट करेंगे ,
सुबह शाम को जोगिंग होगी ,
रात को क्लब में डांस करेंगे l
हम भी एक दिन पड़े बनेंगे …
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेशl