हम बिहारी है।
–
**हम बिहारी हैं**
बिहार की धरती, अनुपम सुहानी,
नदी-ताल-सरवर, हरियाली की निशानी।
गंगा की धाराएं, जीवन में बहतीं,
बोधगया की भूमि, ज्ञान की छाया देतीं।
हम बिहारी हैं, मिट्टी के लाल,
संस्कृति की गूंज, हमारी ही चाल।
लिच्छवी का शासन, ज्ञान की बानी,
मगध का गौरव, सबकी जुबानी।
चंपारण की क्रांति, गाँधी का संकल्प,
वर्षों से अनवरत, हमारे हैं हौंसले बलवंत।
महावीर की भूमि, बुद्ध की कहानी,
कला-संस्कृति का मेल, यहाँ हर जुबानी।
चावल की खुशबू, लिट्टी का स्वाद,
सत्तू की मिठास, दिलों में बसी याद।
माँझी की मेहनत, तप और संघर्ष,
किसानों की मेहनत, हरियाली का उत्कर्ष।
विर कुंवर सिंह, स्वतंत्रता के महानायक,
अंग्रेजों के खिलाफ, लड़े जैसे एक पर्वताय।
राजेंद्र बाबू की सरलता, देश की प्रथम राष्ट्रपति,
नालंदा की शिक्षा, जो फैली थी विश्व-भर।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’, कविताओं का मान,
वीरों का जयगान, काव्य का अनुवाद।
छठ पूजा का पर्व, सूर्य को अर्घ्य दें,
स्नेह और श्रद्धा में, हम सब जुड़ें।
हर गाँव का सुंदरता, हर शहर की पहचान,
पर्वत और मैदान, दोनों का समान।
तिलक-मिठाई की खुशबू, त्योहारों का रंग,
बिहार की भूमि, जैसे स्वर्ग का अंग।
हम बिहारी हैं, गर्व से कहते,
संस्कृति और परंपरा, दिल से जीते।
शिक्षा का मंदिर, ज्ञान की धरती,
बिहार की महिमा, अनंत और अपरंपार।
हम बिहारी हैं, नालंदा की धरोहर,
इतिहास में रचें, वीरता और प्यार।
छठ का त्योहार, श्रद्धा का प्रतीक,
गंगा के तट पर, मनाएं हम मिलके।
—
हमारी उल्टी पुल्टी पुस्तक