हम तुम्हारे हैं
तुम हमारे हो, हम तुम्हारे हैं….
एक नदिया के दो किनारे हैं,
तुम हमारे हो, हम तुम्हारे हैं।
एक-दूजे के बिन अधूरे हैं,
एक-दूजे के हम सहारे हैं।
दूर ग़र हैं सुकून मिलता नहीं,
ग़र अलग हैं तो हम बेचारे हैं।
साथ होते हैं तो जहाँ भर में,
कितने रंगीन सब नज़ारे हैं।
क्या गज़ब है किया मुहब्बत ने,
यार दोनों के दिल निखारे हैं।
याद कुछ भी नहीं है अपने सिवा,
सारी दुनियाँ को हम बिसारे हैं।
सबसे ज्यादा हसीं व क़ातिल भी,
बस मुहब्बत के ही शरारे हैं।।