हम तुम्हारे हुए
******* हम तुम्हारे हुए ******
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काफिया -रे रदीफ़-हुए
222 212 212 212
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हम तुम्हारे हुए , तुम हमारे हुए।
आँखो ही आँख से है इशारे हुए।
तुमने यूँ इस कदर मार डाला हमें,
जैसे हम हर तरफ बेसहारे हुए।
तेरे मेरे हसीं ख्वाब सच हो गए,
देखे अरमान जो सत्य सारे हुए।
पल पल हम सदा ताकते ही रहे,
नजरों के खूबसूरत नज़ारे हुए।
तेरा ये चाँद सा मुख सताये हमे,
तुम्हें ही देखते बाग न्यारे हुए।
मेरे आगोश में आ गए सनम,
दिन में ही रात वाले सितारे हुए।
मनसीरत हर जगह ढूँढता ही रहे,
मिल जो तुम हो गए है सहारे हुए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)