हम गांव वाले है जनाब…
हम गांव वाले है जनाब
आवारा कहो या गवारा
हमें फर्क नहीं पड़ता
हम निज माटी के लाल
मेहनत कसो की औलाद
हमारी लड़खड़ाती बोली की
मजाक उड़ाने वालो सुनो
एक दिन इसकी तारीफ़
करते न थकोगे तुम….
कम संसाधन में हमने जीना
मिट्टी से सोना उगाना सीखा
हम गांव वाले है जनाब
मां – बाप से हमनें मेहनत करना
बुजुर्गो से धैर्य धारण करना सीखा
गाँव ही तो विकास करके
वृहत आबादी वाला
शहर का निर्माण करता
फिर भी लोग निज अतीत का
मजाक क्यों उड़ाया करते…
हम छोटे लोग कहे जाते है साहब, पर
बड़ी बड़ी मिशाले हमारे ही नाम दर्ज है
हमारे यहां के लोग
थोड़े कम पढें लिखे होते है
यह मैं मानता हूं… पर
परिश्रमी बहुत होते है, ये
खून पसीना एक करना जानतें है
हम गांव वाले है जनाब
आवारा कहो या गवारा
हमें फर्क नहीं पड़ता…