Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2021 · 1 min read

हम कवि न जाने क्यो ये

हम कवि ना जाने क्यों ये काम कर देते है
आम के आम गुठलियों के दाम कर देते हैं

पीते एक घूँट नहीं है हलक से अपनी पर
महफ़िलों में लब सुर्ख ए जाम कर देते है

जब भी लगती है तन्हाइयों की महफिलें
तन्हा रहकर भी हंसी ये शाम कर देते है

जो जानते नहीं नाम हमारा उनसे पुछो
कैसे कवि ये खुद को बदनाम कर देते है

बस जब बात आती है राष्ट्र भक्ति की
गर्दन रख ख़ंजर,अपना नाम कर देते है

कोई पूछता जब अशोक की दर्द जानो
शीश अपना कटवाने का पैगाम कर देते है

अशोक सपड़ा हमदर्द

Language: Hindi
240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन से चाहे बिना मनचाहा नहीं पा सकते।
मन से चाहे बिना मनचाहा नहीं पा सकते।
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मौत के लिए किसी खंज़र की जरूरत नहीं,
मौत के लिए किसी खंज़र की जरूरत नहीं,
लक्ष्मी सिंह
विश्व तुम्हारे हाथों में,
विश्व तुम्हारे हाथों में,
कुंवर बहादुर सिंह
सारे  ज़माने  बीत  गये
सारे ज़माने बीत गये
shabina. Naaz
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
"मन बावरा"
Dr. Kishan tandon kranti
*गृहस्थी का मजा तब है, कि जब तकरार हो थोड़ी【मुक्तक 】*
*गृहस्थी का मजा तब है, कि जब तकरार हो थोड़ी【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
पूर्वार्थ
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
surenderpal vaidya
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
ना तुमसे बिछड़ने का गम है......
Ashish shukla
........,,?
........,,?
शेखर सिंह
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आत्म बोध
आत्म बोध
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#अग्रिम_शुभकामनाएँ
#अग्रिम_शुभकामनाएँ
*Author प्रणय प्रभात*
जेठ की दुपहरी में
जेठ की दुपहरी में
Shweta Soni
जिंदगी एक चादर है
जिंदगी एक चादर है
Ram Krishan Rastogi
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
तबकी  बात  और है,
तबकी बात और है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जब तक मन इजाजत देता नहीं
जब तक मन इजाजत देता नहीं
ruby kumari
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
उगते विचार.........
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
Shakil Alam
उसकी दहलीज पर
उसकी दहलीज पर
Satish Srijan
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
सुरसा-सी नित बढ़ रही, लालच-वृत्ति दुरंत।
सुरसा-सी नित बढ़ रही, लालच-वृत्ति दुरंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...