हम करें तो…
हम करें तो बेइमानी।
वो करें तो बुद्धिमानी।
सत्य पर उँगली उठाना,
शौक उनका खानदानी।
बीज बोकर नफरतों का,
खेल खेलें आग-पानी।
पाँव उनके चूमती है,
संपदा हो नौकरानी।
थोपते सब पर स्वयं को,
कब किसी की राय जानी।
बात भर सुनते रहे हैं,
पर कभी क्या बात मानी।
आँख जिनकी बोलती है,
बात कहते बेजुबानी।
हर हुनर बेजोड़ उनका,
कौन उनका आज सानी।
देख बिगसा चाँद नभ में,
खिल उठी है रातरानी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)