#ग़ज़ल-32
वो चाहें हैं हमें हमनवा जो जानें हैं
हम उनकी वो हमारी हवा जो जानें हैं/1
वो आते हैं हमारी तरफ़ खिंचे-खिंचे
हम उनकी दर्द-ए-दिल-दवा जो जानें हैं/2
भूलें कैसे वफा यार की गर्दिश में भी
देती गर साथ है वो रवा जो जानें हैं/3
दोस्ती की सब मिसालें उन्हें आती हैं
देते हैं एक तो वो सवा जो जानें हैं/4
सुनते हैं गौर से बात हर प्रीतम हक की
सच को सच हैं कहें ना गवा जो जानें हैं/5
रवा-वाज़िब
-आर.एस.’प्रीतम’