हमें तो अब बस तेरा आसरा है
**हमें तो अब बस तेरा आसरा हैं**
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हमें तो अब बस तेरा आसरा है,
बहुत ज़्यादा अपनों से फांसला है|
तमाशा जग का है सब से निराला,
समझ आया जीवन क्या माजरा है|
सुखों के मिलते कम अनमोल पल,
जिंदगी में गम का ढ़ेरों दाखिला है|
सजा मिलती रहती हर बोल की,
सदा चुप रहने में ही फायदा है|
जुबां से मनसीरत छट है बदलती,
यही तो दुनिया का ही कायदा है|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)