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12 Feb 2024 · 1 min read

*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*

स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)
_________________________
स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए
छड़ी जादू की वह घूमे कि, अद्भुत खेल हो जाए
हमारे बीच में दूरी को, रचता था जो खलनायक
प्रभो करना कृपा ऐसी कि, अब वह फेल हो जाए
————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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