हमारी किताबें बोलती हैं
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किताबें भी बोलती है मन की बातें
अभी की भी,गुजरे जमाने की
इस दुनिया की, इंसानों की
अभी की, कल की, हम सब की।
हमारी खुशियों की,गमों की
सूंदर फूलों की, काँटों की
हमारी जीत की, हार की
हमारे प्यार की, मार की।
क्या तुम नहीं सुनते कभी
इन रखी किताबों की बाते?
सुनो किताबें कुछ कहना चाहती है
तुम्हारे पास रहना चाहतीं है।
हमारी किताबों में चिड़िया चहचहाती है
सब किताबों में खेती लहलहाती हैं
हमारी किताबों में झरने गुनगुनाते है
हम परियों के किस्से पढ़ते ,सुनाते है।
किताबों में राकेट का राज बताते है
किताबों में जिंदगी की आवाज है
किताबो में आज की साइंस की बात हैं
किताबों में कितना भरा पड़ा संसार है।
किताबों में नए पुराने ज्ञान का भंडार है
क्या तुम इस संसार को पूरा का पूरा
नहीं जाना चाहोगे,समझना चाहोगे
हमारी किताबें कुछ कहना चाहती है।
तुम्हारे पास रहना चाहतीं है
सुनो इनकी बात ध्यान से और हां
पढ़ो इनको भी कुछ देर मन से
छोड़ हाथ से फ़ोन ओर ये अपना।
लैपटॉप जिसे अपना जीवन माने हो
किताबे कुछ बोलती हैं जरा गौर से
सुनो इनकी भी पुकार ऒर आजे से
पढ़ो इनको भी….
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद