हमारा पास है वो पत्थर
हमारा पास है वो पत्थर
जिसे हम दिल पर रखते हैं…..
ये अपना हौसला है देखो के
हम हर दिन संवरते हैं।
तुम्हारी हर फरमोशी को…
हम बखुबी समझते हैं….
ये ऐसा दौर है जिस्मे…
नहीं रिश्ते संभलते है……
तुम्हें क्या पास रिश्तों का
ये एक खैल है सब कुछ……
जिन्हे एहसास होता है…
वो ही एहसास करते हैं…
किसी को बेइज्जत करना
तुम तो खूब आता है
किसी के दिल पे क्या गुजरी…
कहां ये सोच सकते हैं……
पलटकर फिर नहीं आते
वो ऐसे लोग होते हैं…
वो तुम से कुछ नहीं
कहते हैं।
ना कोई आस रखते है….
तुम्हारी रूह को ही किसी दिन
होगी तुम से शिकायत….ये
के चाहने वालों से भी..
कहीं ऐसा बर्ताव करते हैं…..
हमारे पास है वो पत्थर
जिसे हम दिल पर रखते हैं
ये अपना हौसला है देखो के
हम हर दिन संवरते हैं
Shabina Z