Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

पहले जैसी कहाँ बात रही

मर्यादा का ना नाम रहा
संस्कारों का ना वक्त रहा है
स्पष्ट शब्दों की वाणी में
मधुरता करना प्रवेश रहा
कैसे चलन में हम जी रहे हैं
समाज का ना डर रहा।

कितनी फुहड़ता आ गई है
देखो अब इन गानों में
शालीनता जैसे खो गई है
सबके चेहरों से।

अब छोटे- बड़े की
शर्म -ओ हया ना रही
प्रथा जैसे बन गई
जाम से जाम टकराने की
कौन बहन कौन भाभी
भेद न अब कोई रहा।

पहले प्राकृतिक वातावरण का
होता भरपूर प्रयोग था
तन ढककर मन खिलखिलाकर
होता एक दूजे का संवाद था
अब कहाँ पहले जैसी बात रही।

हरमिंदर कौर ,
अमरोहा, (उत्तर प्रदेश)

2 Likes · 19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
इंसानो की इस भीड़ में
इंसानो की इस भीड़ में
Dr fauzia Naseem shad
तुकबन्दी अब छोड़ो कविवर,
तुकबन्दी अब छोड़ो कविवर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
याद में
याद में
sushil sarna
कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान (कुंडलिया)
कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान (कुंडलिया)
Ravi Prakash
ठहराव नहीं अच्छा
ठहराव नहीं अच्छा
Dr. Meenakshi Sharma
* संवेदनाएं *
* संवेदनाएं *
surenderpal vaidya
अपनी अपनी सोच
अपनी अपनी सोच
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"प्रेम कर तू"
Dr. Kishan tandon kranti
निकाल देते हैं
निकाल देते हैं
Sûrëkhâ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
Manisha Manjari
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
Anil chobisa
अनंतनाग में परचम फहरा गए
अनंतनाग में परचम फहरा गए
Harminder Kaur
धर्म और सिध्दांत
धर्म और सिध्दांत
Santosh Shrivastava
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
Rituraj shivem verma
अकाल काल नहीं करेगा भक्षण!
अकाल काल नहीं करेगा भक्षण!
Neelam Sharma
#बाल_दिवस_से_क्या_होगा?
#बाल_दिवस_से_क्या_होगा?
*प्रणय प्रभात*
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
Mahendra Narayan
पहले प्यार में
पहले प्यार में
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
“बदलते रिश्ते”
“बदलते रिश्ते”
पंकज कुमार कर्ण
मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं
मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं
Neeraj Agarwal
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
Radhakishan R. Mundhra
लोकतंत्र बस चीख रहा है
लोकतंत्र बस चीख रहा है
अनिल कुमार निश्छल
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
समय
समय
नूरफातिमा खातून नूरी
Loading...