हमसे रूठ गया है वो
ये जानता हूं मैं क्यों रूठा है तू
लेकिन मैं कुछ कर सकता नहीं
तू भी तो सब जानता है, फिर भी
मेरी मजबूरियों को समझता नहीं।।
तुम कहो और मैं न मानूं उसे
ऐसा तो हो सकता था नहीं
कोई तो वजह है जो तुम्हारी
इच्छा,पूरी कर सकता था नहीं।।
तुम्हें सच बताया है फिर भी रूठ गए
इतना मनाया है तुम्हें फिर भी नहीं माने
ऐसा रूठना भी क्या, जो कभी माने ही नहीं
तुम पहचान अपनो की कभी जाने ही नहीं।।
गुस्से में इतना भी नहीं समझते के
अभी तो शुरू हुआ है हमारा ये सफ़र
जीवन में खट्टे मीठे आयेंगे पल कई
इसके लिए जारी तो रखना होगा ये सफ़र।।
माना चाह है फूलों की तुम्हारी
है दुआ मेरी, उपवन ही मिल जाए
जीवन में, मिले तुम्हें हर वो चीज़
जिस पर भी तुम्हारा दिल आए।।
देख रहा था कल मैं बस तुम्हें ही
महफिल में बेहद खूबसूरत लग रहे थे
लेकिन गुस्सा अभी भी दिख रहा था
जब भी तुम नज़र मेरी ओर कर रहे थे।।
था मेरा यार मेरी आंखों के सामने, अरसे बाद
जो भी हो मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था
देखकर उसकी आंखों में फिर बार बार
मुझे तो आज भी प्यार सच्चा लग रहा था।।
देखते हैं अब मानता है वो या फिर
मुझे पीछे छोड़कर वो आगे बढ़ जाता है
मैं तो उसकी खुशी चाहता हूं, होगी खुशी मुझे
गर मुझसे अच्छा साथी उसे मिल जाता है।।