हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
उजड़ी दुनिया में हमने जीवन पलते देखा है
रात चाहे कट गई हो घनघोर अंधेरे में लेकिन
हमने अंधियालो के भीतर भौर निकलते देखा है
चलती गाड़ी में हमने पेड़ों को चलते देखा है
आधुनिक इस दौड़ में उनको मचलते देखा है
फूलों को हमने गर्दिश में खिलते देखा है
घनघोर आंधियों में पेड़ संभलते देखा है
हमने नदियों को भी रास्ता बदलते देखा है
समुद्र को भी हमने प्यासा मचलते देखा है
सूरज पर मिला नहीं पानी का निशान कही
हमने सूरज को पानी पर पैदल चलते देखा है
✍️कवि दीपक सरल